यह हिंदी अनुवाद अंग्रेजी के मूल का जो Condemn the police attack on School Development Officers in Sri Lanka! Release four teachers arrested by the police! 8 दिसम्बर 2024 को प्रकाशित हुआ थाI
(यह बयान सीडब्ल्यूएसी द्वारा शनिवार को जारी किया गया था।)
श्रीलंका की कलेक्टिव ऑफ़ वर्कर्स एक्शन कमेटी (सीडब्ल्यूएसी), दो दिसम्बर को प्रदर्शन कर रहे स्कूल डेवलपमेंट आफ़िसर्स (एसडीओ) पर बर्बर पुलिसिया हमले की कड़ी निंदा करती है।
सीडब्ल्यूएसी मज़दूर वर्ग से अपील करती है कि प्रदर्शन में शामिल चार टीचर्स (एसडीओ) को रिहा करने की मांग करें जिन्हें फर्जी आरोपों में पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।
सीडब्ल्यूएसी शिक्षा, रेलवे, बंदरगाहों, चाय बागानों और कपड़ा उद्योग के अलावा प्रवासी मज़दूरों के बीच सक्रिय एक्शन कमेटियों का एक मोर्चा है। हम मज़दूरों के जीने और सामाजिक हालात और लोकतांत्रिक अधिकारों की सरकार और मालिकों के हमले से रक्षा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारा यह काम पूंजी परस्त यूनियन नौकरशाहियों से स्वतंत्र है।
जनथा विमुक्ति पेरुमुना (जेवीपी) की अगुवाई वाले नेशनल पीपुल्स पॉवर (एनपीपी) सरकार द्वारा की गई पुलिसया दमनात्मक कार्रवाई, मज़दूर वर्ग द्वारा अपने नौकरी, वेतन और काम के हालात की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने के बुनियादी लोकतांत्रितक अधिकारों पर हमला है।
हालांकि पहले की सरकारों ने इन कर्मचारियों को एसडीओ के तौर पर मान्यता दी थी और वे पिछले चार सालों से सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। सरकार उनका शोषण कर रही है और उन्हें सरकारी शिक्षा सेवा में काम करने वालों से कम वेतन दे रही है।
हाल के सालों में एसडीओ टीचर्स लगातार हड़तालें और धरना प्रदर्शन कर चुके हैं, कभी अलग तो कभी अन्य वर्करों के साथ मिलकर। उनकी मांग है कि उन्हें शिक्षा सेवा में बहाल किया जाए और समान अधिकार दिए जाएं।
दो दिसम्बर को, एसडीओ कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर पेलावाट्टे में स्थित इसुरुपाया में शिक्षा मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन का आह्वान कंबाइन ऑफ़ स्कूल डेवलपमेंट ऑफ़िसर्स एसोसिएशन (सीएसडीओए) ने किया था। जेवीपी/एनपीपी नेताओं ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वे एसडीओ के मुद्दों को हल करेंगे, लेकिन मज़दूर वर्ग के अन्य तबकों को किए गए कई वादों की तरह यह वादा भी उन्हें धोखा देने और उनका वोट पाने के लिए किया गया था।
एसडीओ की मांगों को सुनने की बजाय सरकार ने उनके प्रदर्शन को दबाने के लिए पानी की बैछारों से लैस सैकड़ों पुलिस कर्मियों को तैनात किया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर हमला बोल दिया, और उन्हें लात और घूसों से मारा। इसके बाद उन्होंने चार टीचरों को गिरफ़्तार कर लिया और काडुवेला में मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने घसीट कर पेश किया।
जो लोग गिरफ़्तार हुए हैं उनमें एलपीएस अबेविक्रेमा, एचवाईएल परेरा, केएमजी कोस्वाथथा और एचडब्ल्यू अराचिगे हैं। काडुवेला मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश करने के बाद, उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया और 10 दिसम्बर तक हिरासत में भेज दिया गया।
उनका अपराध क्या था? यही कि उन्होंने अपने वैध अधिकारों और शिक्षा सेवा में शामिल किए जाने की मांग उठाने की हिम्मत की। पुलिस ने उन पर ग़ैरक़ानूनी रूप से इकट्ठा होने, ट्रैफ़िक रोकने और पुलिस को घायल करने का आरोप लगाया। अगर उन्हें सज़ा होती है तो चारों टीचर्स को तीन साल तक की जेल हो सकती है और ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
हम एलान करते हैं किः ये गिरफ़्तार चार टीचर्स, राष्ट्रपति दिसानायके सरकार द्वारा मज़दूर वर्ग के ख़िलाफ़ वर्ग युद्ध छेड़ने की तैयारी के पहले पीड़ित हैं।
मज़दूर वर्ग ऐसे हमले को बर्दाश्त नहीं कर सकता है। आईएमएफ़ के निर्दयी खर्च कटौती कार्यक्रम को लागू करने में सरकार आप पर देर सबेर हमले करेगी। हमारे वर्गीय भाईयों और बहनों के एक तबके पर हमला हम सब पर हमला है!
हम मज़दूरों से अपील करते हैं किः
- अपनी आवाज़ बुलंद करें और मांग करें कि चार टीचरों को रिमांड से तुरंत रिहा किया जाए और उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोपों और धाराओं को रद्द किया जाए; और टीचर्स प्रदर्शन पर पुलिसिया हमले की निंदा की जाए!
- बयान जारी करो और अपने कार्यस्थल पर धरना प्रदर्शन आयोजित करो, जैसे कि पिकेटिंग।
यह पुलिसिया कार्रवाई पूरे मज़दूर वर्ग के लिए चेतावनी है। जेवीपी/एनपीपी सरकार आईएमएफ़ के खर्च कटौती उपायों को पूरी तरह लागू करने को चुनौती देने वाली मज़दूरों की किसी भी कार्रवाई को कुचलने में हिचकेगी नहीं।
सीएसडीओए प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ पिछले हफ़्ते की गई पुलिसिया दमनात्मक कार्रवाई के बाद दस एसडीओ के एक प्रतिनिधिनमंडल को उप शिक्षा मंत्री मदुरा सेनारत्ने से मिलने की इजाज़त दी गई। उन्होंने बस यही 'वादा' किया कि वह इस मामले को कैबिनेट में उठाएंगे।
इस मामले पर विचार करने के लिए राष्ट्रपति दिसानायके ने प्रधानमंत्री हरिनी अमरासुरिया के नेतृत्व में एक मंत्री स्तर की उप कमेटी बनाई है। हालांकि वरिष्ठ मंत्री और कैबिनेट प्रवक्ता डॉ. नलिंदा जयातिसा ने अपना असली रंग दिखा दिया। उन्होंने एलान किया कि, 'इस तरह के जटिल और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे पर सरकार तुरंत कोई हल नहीं निकाल सकती।'
यह स्पष्ट संदेश है कि एसडीओ को उनकी वैध मागों का कोई हल नहीं मिलेगा। यह मज़दूरों को भी एक संदेश है कि 'जटिल और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों यानी उनकी समस्यों का वे तुरंत हाल नहीं' निकाल सकते।
यह ऐसी सरकार है जिसने जनता पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए आईएमएफ़ के खर्च कटौती उपायों पर 'फिर से बातचीत' करने का वादा किया था, इसने वादा किया था कि वो कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली और अन्य दमनकारी क़ानूनों, जिसमें आतंकवाद के ख़िलाफ़ रोकथाम वाला क़ानून भी शामिल था, ख़त्म कर देगी और जनता के लिए कल्याणकारी सब्सिडी को जारी रखेगी।
लेकिन 21 नवंबर को अपने शुरुआती नीतिगत बयान में राष्ट्रपति दिसानायके ने एलान किया कि आर्थिक संकट का मतलब है कि '(हम) एक पतले धागे से लटके हुए हैं.. (और) ग़लतियों की कोई गुंजाइश नहीं है।' उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार का फ़ोकस 'आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना' और आईएमएफ़ प्रोग्राम को लागू करने के माध्यम से 'संबंधित सभी आर्थिक साझीदारों के साथ फिर से विश्वास बहाली' है।
कार्यकारी राष्ट्रपति प्रणाली को ख़त्म किए जाने के अपने वादे पर एक तरफ़ तो दिसानायके ने चुप्पी साध ली, दूसरी तरफ़ उन्होंने इसकी असीमित शक्तियों को इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया, जिसमें पूरे देश में सशस्त्र सेनाओं को बुलाना भी शामिल है।
राष्ट्रपति के वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार डुमिंडा हुलांगामुवा ने भी एलान किया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के 13 लाख कर्मचारियों को कम से कम 7.5 लाख तक कम करने के लिए कदम उठाना शुरू करेगी क्योंकि सरकारी खजाने में पैसा नहीं है। इससे 5.5 लाख नौकरियां ख़त्म हो जाएंगी।
सैकड़ों सरकारी उद्यमों के सुनियोजित 'पुनर्गठन' की शुरुआत की जा चुकी है, जिसमें निजीकरण, व्यवसायीकरण और तालाबंदी शामिल है।
वेतन और पेंशन में कटौती को लागू करने के साथ साथ, यह पुनर्गठन लाखों और नौकरियों को नष्ट कर देगा।
दिसानायके ने एलान किया है कि उनकी सरकार पांच बड़े विशेष आर्थिक ज़ोन स्थापित करेगी। ये वैश्विक निवेशकों और श्रीलंका में उनके बड़े बिज़नेस ग्राहकों के लिए सस्ते श्रम की मंडी होगी।
सरकार द्वारा लागू किए जा रहे कुछ तीखे हमलों की यह बानगी भर है। ये दिखाता है कि मज़दूर जिन ज्वलंत समस्याओं का सामना कर रहे हैं, राष्ट्रीय सीमा और पूंजीवादी सिस्टम के अंदर उनका हल नहीं है।
अपनी ओर से, हमें यह समझना चाहिए कि एसडीओ टीचरों पर हमला एक चेतावनी है और सभी पूंजीवादी पार्टियों और पूंजीवाद समर्थक ट्रेड यूनियनों से स्वतंत्र रूप से संगठित होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
दिसानायके सरकार के साथ मिलकर, ट्रेड यूनियन नौकरशाहियों ने खुद को एसडीओ के ख़िलाफ़ कर लिया है, इन पर जेवीपी और अन्य कथित स्वतंत्र यूनियनों का नियंत्रण है।
जेवीपी के ट्रेड यूनियनों के कुछ नौकरशाह तो सांसद और मंत्री बन गए हैं। उप श्रम मंत्री और टीचर सर्विसेस यूनियन के सेक्रेटरी महिंदा जयसिंघे ने एसडीओ टीचरों पर पुलिस अधिकारियों को घायल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हर किसी को 'सरकार को कुछ समय देना चाहिए' क्योंकि यह अभी अभी चुन कर आई है।
सिलोन टीचर्स यूनियन के नेता जोसेफ़ स्टालिन, जो खुद को स्वतंत्र दिखाते हैं, ने जेवीपी/एनपीपी का पक्ष ले लिया है। स्टालिन ने कहा कि वह एसडीओ शिक्षकों को शिक्षक सेवा में शामिल किए जाने का कड़ा विरोध करते हैं, उनका दावा है कि यह शिक्षक सेवा के लिए क़ानूनी नियमों का उल्लंघन है।
मज़दूर अपने अधिकारियों की रक्षा के लिए इन ट्रेड यूनियन नौकरशाहों पर भरोसा नहीं कर सकते। सीएसडीओए झूठे दावे कर रही है कि एसडीओ टीचर सरकार पर दबाव डालकर अपनी मांगें मनवा सकते हैं। यह राजनीतिक रूप से अंधी गली है और इससे हार मिलेगी। इसीलिए कर्मचारियों को अपने कार्यस्थलों, मज़दूर वर्ग के रहने वाली जगहों और बागानों में स्वतंत्र एक्शन कमेटियां गठित करनी चाहिए। ट्रेड यूनियन नौकरशाहों और पूंजीवादी पार्टियों को इन कमेटियों में आने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।
हम एसडीओ टीचरों से अपील करते हैं कि गिरफ़्तार लोगों की रिहाई और अपने लोकतांत्रिक अधिकारियों की रक्षा के संघर्ष की शुरुआत के लिए एक्शन कमेटियां गठित करें।
अधिक व्यापक और तत्काल रूप से, सीडब्ल्यूएसी मज़दूर वर्ग से निम्नलिखित मांगों पर एकजुट होने का आह्वान कर रही है:
- क्रूर आईएमएफ़ कार्यक्रम को ना बोलो!
- निजीकरण या पुनर्गठन नहीं चलेगा, और सभी एसओई को उनके कर्मचारियों के लोकतांत्रिक नियंत्रण में रखा जाए!
- विदेशी कर्ज़ों के पुनर्भुगतान को ना बोलो!
इस संघर्ष में हमारे सहयोगी हमारे अंतर्राष्ट्रीय वर्ग के भाई-बहन हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, पूरे यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, भारत और अधिक व्यापक रूप से, मजदूर वर्ग निगमों और सरकारों के हमलों से अपने अधिकारों की रक्षा के संघर्ष में उतर आया है।
हम आपसे आपील करते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूर वर्ग की ओर रुख़ करें! इसे इंटरनेशनल वर्कर्स अलायंस ऑफ़ रैंक-एंड-फ़ाइल कमेटियों (आईडब्ल्यूए-आरएफ़सी) में शामिल होकर विश्व स्तर पर अपने कामों के तालमेल से हासिल किया जा सकता है।
सीडब्ल्यूएसी आपके कार्यस्थलों पर एक्शन कमेटियां बनाने में आपकी सहायता करने के लिए तैयार है।
आप हमसे इस फ़ोन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं: +94773562327
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